Dussehra Essay in Hindi : दशहरा का त्योहार हमारे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत में सरकारी छुट्टी होती है। उत्सव मनाने के लिए सभी स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान और सरकारी कार्यालय इस दिन बंद रहते हैं। दशहरा से पहले कई स्कूलों और कॉलेजों में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। बच्चों को दशहरा और इसके महत्व पर भाषण देना आवश्यक है।
दशहरा का त्यौहार विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह सितंबर या अक्टूबर के दौरान मनाया जात है। पूरे देश में यह समारोह बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जात हैं। दशहरा से पहले लोग नवरात्रों में लोग 9 दिनों का उपवास करते हैं। लोग देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं। यह उत्सव पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा और गुजरात में पारंपरिक लोक नृत्य गरबा और डांडिया के रूप में मनाया जाता है। लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।
Essay on Dussehra in Hindi
दसवें दिन नवरात्रों के 9 दिनों के बाद दशहरा का उत्सव बड़ी श्रद्धा और आनंद के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को बुरी शक्तियों की हार का प्रतीक माना जाता है और रावण के विशाल पुतलों को जलाया जाती है।
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इसी दिन भगवान राम ने राक्षस रावण को पराजित किया और अपनी अपहृत पत्नी को रावण के चंगुल से मुक्त कराया। भगवान राम ने इसी दिन दुनिया को इस दुष्ट दानव के अत्याचारों से मुक्त किया था। जिसके द्वारा बुरी शक्तियों की हार और धार्मिकता का शासन स्थापित हुआ।
भगवान राम ने रावण को हराया और उसी दिन से दशहरा मनाने की प्रथा शुरू हुई। प्राचीन समय से ही पूरे भारत में दशहरा मनाने की प्रथा का पालन किया जा रहा है। लोग इस दिन पटाखों से भरे पुतले जलाते है। पश्चिम बंगाल में जिन भक्तों ने अपने घरों में देवी दुर्गा की मूर्तियों को स्थापित किया था, वे मूर्ति को पास की नदी में विसर्जन के लिए ले जाने के लिए एक विशाल जुलूस निकालते हैं। लोग इस जुलूस को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।
नवरात्रि के दिनों में उपवास रखने वाले भक्त इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं। साथ ही ब्राह्मणों का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें प्रसाद दिया जाता है। राम लीला का आयोजन लगभग हर शहर में किया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में मेले लगते हैं।
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विजयादशमी को हथियारों की पूजा के लिए भी एक शुभ दिन माना जाता है। लोग इस दिन शस्त्रो की पूजा करते हैं और अपने लिए शक्ति का वरदान माँगते हैं। यह त्योहार पूरे भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार बांग्लादेश और नेपाल के मूल निवासियों द्वारा भी मनाया जाता है। प्रवासी भारतीय जहां भी रह रहे होंगे वे अपने देश की संस्कृति को जीवित रखने के लिए इस त्योहार को मनाते हैं। मंदिरों में रोशनी करने के लिए दिये जलाए जाते है और शहरों को रोशनी से भर दिय जाता है। पूरा देश इस दिन जगमगाता है।
निष्कर्ष
बुराई पर अच्छाई की जीत के इस त्यौहार पर हमें प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि हम किसी के लिए भी कुछ भी हानिकारक नहीं करेंगे और न ही हम बुराइयों के कारण किसी को पीड़ित होने देंगे। आइए इस पवित्र अवसर पर एक वचन लें कि हम देश के साथ-साथ दूसरों के भी हित के लिए काम करेंगे और सभी तरह की गलत चिजों से दूर रहेंगे।
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